श्रीवरद वल्लभा गणपति मंदिर में गणेश चतुर्थी महोत्सव का हुआ शुभारम्भ..गणेश चतुर्थी के पहले दिन वैदिक हवन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी..इस मौके पर सभी की उपस्थिति में मंदिर संस्थापक हरिमोहन गर्ग और साधना गर्ग ने पूजन किया

श्रीवरद वल्लभा महागणपति अर्थात जिनके एक हस्त में वेद हैं और दूसरे हस्त से वो आशीर्वाद प्रदान करते हैं। शास्त्रों में वेदों का अर्थ ज्ञान से हैं और ज्ञान की साक्षात प्रतिमा के रूप में विराजित श्रीवरद वल्लभा महागणपति ने अपने प्राकट्य उत्सव पर स्वर्णिम आभा से सज्जित होकर मनोहारी दर्शन दिए..आगरा− फिरोजाबाद रोड स्थित श्रीवरद वल्लभा महागणपति मंदिर में शनिवार को तृतीय गणेश चतुर्थी महोत्सव का शुभारंभ हुआ। दस दिवसीय आयोजन की शुरुआत वरद वल्लभा महागणपति की प्रतिमा के महाकुम्भाभिषेक के साथ हुयी। जिसके अन्तर्गत हल्दी, चंदन, कुमकुम, कदम्ब पुड़ी, भस्मी, नारियल का जल, गन्ने और मौसमी का रस, घी, शहद, शक्कर सहित 11 विशेष वस्तुओं से महाभिषेक किया गया। मंदिर संस्थापक हरिमोहन गर्ग(एनआरएल ग्रुप) और साधना गर्ग ने प्रथम दिन के यजमान के रूप में प्रातः हवन किया। हरिमोहन गर्ग ने बताया कि मंदिर में पूजन पद्धति पूर्ण रूप से कांचीपुरम तमिलनाडु से प्रशिक्षित पंडितों द्वारा की जाती है।
स्वर्ण और रत्न जड़ित मुकुट और दंत के साथ सेलम कोयम्बटूर में विशेष रूप से तैयार सिल्क की धोती से श्रीवरद वल्लभा महागणपति का श्रंगार किया गया था। श्याम रंग की प्रतिमा के मस्तक पर रत्न जड़ित चांदी के बने ओम के तिलक से अलौकिकता और भव्यता झलक रही थी।