सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने भारतीय जनता पार्टी की आरक्षण नीति पर सवाल उठाए हैं क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है, जिसमें सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकते हैं और संविधान प्रदत्त आरक्षण की व्यवस्था नहीं है जिसको ले कर जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार से आरक्षण नीति में सुधार करने की मांग की गयी है।

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीला सुमन ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा लिए गए इस फैसले को भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया जा रहा है, क्योंकि इससे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। उत्तर प्रदेश के 69,000 शिक्षक भर्ती में हुए आरक्षण घोटाले का भी हवाला दिया जा रहा है, जिसमें आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी कई वर्षों से आंदोलनरत रहे, लेकिन सरकार ने इस मामले की कोई सुध नहीं ली। तो वहीँ विपक्षी दलों ने इसे भाजपा सरकार की वंचितों के अधिकारों पर डाका डालने की कोशिश बताया है।
उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधियों ने सरकार से आरक्षण नीति में सुधार करने की मांग की है।