कारगिल में अपने देश के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाले अकोला कागरोल निवासी शहीद की याद में मजार बनाया गया है जिसके बाद शहीद के परिजनों ने प्रशासन से मांग की है की गांव में बने प्याऊ के पास शहीद की मूर्ती लगवाई जाए और प्याऊ के पास एक पोस्टर भी लगवाया जाए जिससे गांव के बेटे की शहादत को सभी याद कर सके और देश सेवा का जज्बा और जागे |

वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध मे आगरा के लाल ने भी अपनी जान गवा दी थी| शादी के पांच दिन बाद ही आगरा के गहर्रा गांव का रहना वाला शहीद हसन मोहम्मद कारगिल युद्ध मे शहीद हो गया था|पत्नी कि हाथ कि मेहंदी छूटी भी नहीं थी ओर वह सच्चा देश भक्त अपने देश कि रक्षा के खातिर अपनी नई नवेली दुल्हन को छोड़ कर देश कि सीमा पर अपने देश कि रक्षा करने के लिए चला गया| नई नवेली दुल्हन को यह नहीं पता था कि अब उसका पति वापस नहीं आएगा| तीन महीने बाद जब दो सिपाही घर आते हैं ओर परिवार के लोगो को यह खबर देते है कि उनका लाल देश कि रक्षा करते हुए शहीद हो गया तो परिवार के लोगो के पैरो तले जमीन खिसक गई वही उस नई नवेली दुल्हन के हाथो कि मेहंदी अभी छूटी भी नहीं थी कि वह विधवा हो गई|देश पर शहीद होने वाले हसन मोहम्मद अपने घर में सबसे बड़े थे उनके दो छोटे भाई है वही पिता ने पंचर की दुकान पर मेहनत कर उन्हे पढ़ाया लिखाया और देश सेवा के लिए फौज में भेज दिया हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद ही उन्हें सेना के लिए चयनित कर लिया गया था जिसके बाद पहली पोस्टिंग जबलपुर उसके बाद हैदराबाद और वहा से सीधे कारगिल युद्ध में देश के लिए दुश्मन से लड़ने का सौभाग्य मिला |