10 सालों से प्रदेश सरकार से उम्मीद लगाए बैठे प्रदेश के लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्र आज भी सरकार की बनाई कमेटी और सरकार के वादों की ओर निहार रहे हैं । लेकिन उसके बावजूद भी इस बार घोषणा पत्र में शिक्षामित्र को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इस बात को लेकर शिक्षामित्र में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है।

सन 2017 में जिस समय प्रदेश में योगी सरकार बनी तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्र के मामले को लेकर एक मेनिफेस्टो जारी करते हुए कहा था कि हमारी सरकार शिक्षामित्र के मामले को महज 3 महीना में समाधान निकालेगी। लेकिन 3 महीने तो छोड़ो बल्कि 8 साल से अधिक प्रदेश और 10 साल के बाद केंद्र सरकार की सरकार होने के बाद भी शिक्षामित्र की समस्या का समाधान नहीं हुआ है । प्रदेश सरकार द्वारा एक कमेटी गठित की गई । जो लगातार बैठक पर बैठक करती रही । लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। जिसके चलते आज शिक्षा मित्र बदहाली के आंसू बहा रहे है। तमाम ऐसी शिक्षामित्र हैं जो कि अवसाद और परेशानी के चलते अपनी जान भी गवा चुके हैं। लेकिन सरकार के वादों और वादा खिलापी से परेशान शिक्षा मित्र अपनी जान गवाते चले जा रहे हैं । लेकिन सरकार के कान पर जू तक नहीं रहेंगे।
इससे साफ है कि जिससे लगातार जिन कूलों को चलाने में शिक्षामित्र ने अपना पूरा जीवन लगा दिया । उसके बावजूद भी उन्हें सम्मान नहीं मिल पा रहा है। शिक्षामित्र लगातार समान वेतन समान अधिकार की बात करते चले आ रहे हैं । देखना होगा कि क्या यह सरकार इस मामले में कोई कदम उठाती है या नहीं।