ताज नगरी आगरा में निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर कई सामाजिक संस्थाएं इसके विरोध में खड़ी हैं। प्रशासन और शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिससे उनके हौसले बुलंद है। इसी को लेकर दीवानी न्यायालय में अधिवक्ता रोहन चौधरी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना मांगी है कि निजी विद्यालयों में हर साल किताबें क्यों बदल दी जाती है।

जनपद आगरा में निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर पहले से ही कई सामाजिक संस्थाएं उनका विरोध कर रही हैं। और शासन प्रशासन को उनकी कारगुजारियों से रूबरू करा रही हैं। इसी क्रम में निजी स्कूल के रवैया से खफा एडवोकेट रोहन चौधरी ने मुख्यमंत्री से सूचना के अधिकार के अधिनियम के अनुसार सूचना मांगी है कि निजी विद्यालयों में हर साल किताबें क्यों बदल दी जाती हैं| अगर इस तरह किताबें बदली गई तो कई नुकसान है| जैसे के कागज पर्यावरण पेड़ पौधों से बनता है जब हर साल किताबों में कितना कागज खर्च होगा तो पेड़ पौधे काटने पड़ेंगे जिससे पर्यावरण का संतुलन भी गड़बड़ होगा। इसके अलावा निजी स्कूल वाले लोग अपने आर्थिक लाभ की वजह से किताबों को हर साल बदलवा देते हैं। एडवोकेट रोहन चौधरी का कहना है कि हम मुख्यमंत्री से यह जानना चाहते हैं कि शासन या प्रशासन में ऐसा कोई आदेश दिया है कि निजी विद्यालय में हर साल किताबें बदली जाए अगर ऐसा कोई आदेश नहीं है तो निजी स्कूलों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है ।